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पारले जी का जन्म कब हुआ था? || Parle Jee Ka Janm Kab Hua Tha?

पारले जी का जन्म कब हुआ था?: नमस्कार दोस्तों मैं आप लोग को बताने वाला हूं कि पारले जी का जन्म कब हुआ था और मैं आप लोग को बताने वाला हूं कि भारत में सबसे बड़ी फैक्ट्री पारले-जी का है जो की पारले-जी बहुत ही फेमस बिस्किट पूरे भारत में माना जाता है 1929 में भारत आजादी की लड़ाई लड़ रहा था स्वदेशी आंदोलन चरम पर था उसे वक्त चौहान परिवार मुंबई में फिल्म का कारोबार करता था इसी परिवार के मोहनलाल दयाल ने एक पुरानी फैक्ट्री को कान्फ्रेंस शरीफ और साथ में मशीन भी लाए थे

केरल और पार्ले गांव के बीच एक छोटी फैक्ट्री लगाई गई शुरू में सिर्फ 12 कर्मचारी थे जिनमें अधिकतर परिवार के ही लोग थे जिनमें अधिकतर परिवार के लोग थे यह लोग इतने बिजी हो गए कि नामकरण करना ही भूल गए धीरे-धीरे फैक्ट्री के उत्पाद पहचान बनाने लगे जगह के नाम पर ही पार्ले ब्रांड नेम खड़ा हुआ पारले का पहला उत्पाद एक अर्जुन कैदी थी दशक भर बाद इस फैक्ट्री में बिस्कुट बनाने की शुरुआत हुई पार्ले गुल को के नाम से एक बिस्किट लॉन्च किया गया या पोषक तत्वों से भरपूर था

और दाम भी कम थे देखते ही देखते यह बिस्किट छा गया साथ के दशक में ब्रिटानिया जैसे कंपनियां भी ग्लूकोस बिस्किट लेकर आ गई ब्रांडेड के नाम मिलते-जुलते थे तो कन्फ्यूजन होने लगी पार्ले ने पीले रंग के पैकेट में बिस्किट देने शुरू किया जीजी पर एक बच्ची की तस्वीर छपी थी यह तरकीब काम आई और फिर जो हुआ उसे इतिहास बदल गया 1982 में पारले गुलको की रीब्रांडिंग करके पारले-जी कर दिया गया नकलचियों से पार पाने के लिए पैकिंग मैटेरियल भी बदल गया काम लगा एट वाली प्रिंटेड प्लास्टिक इस्तेमाल की जाने लगी उसे साल के बाद से पार्ले ने कभी पलट कर नहीं देखा और इसके बारे में मैं आप लोग को जल्द से जल्द बताने का प्रयास कर रहा हूं

पारले जी बिस्कुट की कहानी क्या है?

नमस्कार दोस्तों मैं आप लोग को बताने वाला हूं कि पारले-जी का जन्म कब हुआ और यह फैक्ट्री कहां पर उपलब्ध हुआ और इसके कितने फैक्ट्रियां आज के समय में चल रहे हैं इसके बारे में पूरी जानकारी प्रदान करने वाला तो मैं आप लोगों को सबसे पहले यह बताने वाला हूं कि पारले जी के भारत का बिस्कुट

बनाने की कहानी विदेशी आंदोलन से निकला पारले जी दूसरों विश्व युद्ध में रहा दृष्टि आर्मी की पसंद अब हर महीने 100 करोड़ से ज्यादा फैक्ट बिकते हैं भारत में नुक्कड़ की दुकान से लेकर सुपरमार्ट तक में बिकता है पारले जी अगर आप भी इसके फैन हो तो चाय बिस्कुट लीजिए और बढ़िया से रोचक कहानी साल 1929 की बात है सिल्क व्यापारी मोहनलाल दयाल ने मुंबई के विले परले इलाके में

एक पुरानी बंद पड़ी फैक्ट्री खरीदी इसे इन्होंने कन्फेक्शनरी बनाने के लिए तैयार किया दरअसल मोहनलाल मालवीय स्वदेशी आंदोलन से प्रभावित थे कुछ साल पहले वह जर्मन गए तो कन्फेक्शनरी बनाने की कला सीखी 1929 में ही हुए कान्फ्रेंस शरीफ मेकिंग मशीन लेकर भारत वापस लौटे जिसे उन्होंने जर्मनी में ₹60000 से खरीदा था परिवार में ही दो लोगों के साथ शुरू हुआ काम फैक्ट्री में 12 लोगों के साथ काम की शुरुआत हुई यह सभी मोहनलाल के ही परिवार के सदस्य जो इंजीनियर मैनेजर और कन्फेक्शनरी मेकर बन

ए कहते हैं कंपनी के मालिक अपने काम में इतने मस्त गोल थे की कंपनी का नाम तक नहीं रखा लिहाजा समय के साथ भारत के पहले कॉन्वेंट श्री ब्रांड का नाम उसकी जगह के नाम पर पड़ा पार्ले दूसरे विश्व युद्ध में सेनन की पहली पसंद बना पारले बिस्कुट पारले ने फैक्ट्री शुरू होने के 10 साल बाद 1939 में बिस्किट बनाना शुरू किया उसे वक्त तक भारत में मिलने वाला बिस्कुट बाहर से आयात किया जाता था इसलिए महंगा होता था इसे सिर्फ अमीर ही खरीद पाए थे बाजार में यूनाइटेड बिस्किट इटली ऐड पाल्मर्स ब्रिटानिया और गर्ल्स को जैसे ब्रेस्ट ब्रांड का कब्जा था पारले ने अपने बिस्किट को आम जनता के लिए सस्ती कीमत पर लॉन्च किया भारत में बना भारत की जनता के लिए हर भारतीय को उपलब्ध बिस्किट जल्द ही आम जनता में लोकप्रिय हो गया दूसरे विश्व युद्ध

के दौरान ब्रिटिश इंडिया आर्मी के भी पारले बिस्कुट भी भारी डिमांड थी आजादी के बाद ठप पड़ गया बिस्किट का प्रोडक्शन 1947 में भारत को आजादी मिली उसे साल पाकिस्तान विभाजन भी हुआ और अचानक देश में गेहूं की कमी हो गई पार्ले को अपने ग्लूको बिस्किट का उत्पादन रोकना पड़ा क्योंकि गेहूं इसका मुख्य स्रोत तथा इस संकट से उभरने के लिए पार्ले ने जो से बने बिस्कुट बनाने शुरू कर दिए एक विज्ञापन में कंपनी ने स्वतंत्रता से न्यू को नमन करते हुए अपने कम उम्र से अपील की जब तक गेहूं की सप्लाई नॉर्मल नहीं हो जाती है तब तक जो के बने बिस्किट का इस्तेमाल करें

पारले जी का मालिक कौन है?

चलिए मैं आप लोग को अपने इस पोस्ट के माध्यम से यह बताने वाला हूं कि पारले-जी का मालिक कौन है और यह लगभग एक महीने के अंदर कितना पैसा तक कमाता है इसके बारे में पूरी जानकारी प्रदान करने वाला जो की पारले जी एक राष्ट्रीय बिस्किट है अपने भारत देश में सबसे पहले पारले जी बिस्कुट का फैक्ट्री चालू हुआ इसके बारे में मैं आप लोगों को पूरी जानकारी प्रदान करने वाला हूं जब से हमारे भारत देश

में पारले जी का बिस्किट चालू हुआ है जब से विदेश से बिस्किट आने बंद होंगे इसके बारे में पूरी जानकारी प्रदान करने वाला हूं तो मैं आप लोगों को सबसे पहले यह बताने वाला हूं कि पारले बिस्कुट बनाने वाली कंपनी पार्ले प्रोजेक्ट की स्थापना 1929 में बिल पार्ले के चौहान परिवार ने की थी पारले जी की ग्लोबल बिस्किट मार्केट में 70% से ज्यादा की हिस्सेदारी है पारले प्रोजेक्ट भारत की सबसे बड़ी बिस्कुट कंपनी है खबर है कि वह पोलैंड की दूसरी सबसे बड़ी बिस्कुट कंपनी डॉ ग्रैंड को खरीदने की तैयारी में है अगर या डील हुई तो पहली

बार होगा जब पार्ले कोई कंपनी खरीदेगा पारले प्रोजेक्ट दुनिया का सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्कुट पारले-जी बनती है कंपनी का जोर हमेशा से नए ब्रांड स्थापित करने पर रहा उन्होंने खरीदने पर नहीं पार्ले की कितनी में 2020 कर काज मां को हाइड एप्स स्टिक मिलियंस स ब्रांड है 1929 में भारत आजादी की लड़ाई लड़ रहा था स्वदेशी आंदोलन चरम पर था वह वक्त चौहान परिवार मुंबई में सिल्क का कारोबार करता था इस परिवार में मोहनलाल दयाल ने एक पुरानी फैक्ट्री को कन्फेक्शनरी यूनिट में तब्दील किया हुआ जर्मनी से सीख कर आए थे और साथ में मशीन भी लगाए थे

पारले जी के संस्थापक कौन है?

पारले-जी बिस्कुट कंपनी के बारे में शायद ही ऐसा कोई होगा जो नहीं जानता होगा या बिस्किट देश के हर दिल में बसता चौहान फिल्म की मालिकाना हक वाली कंपनी देश में उसे वक्त लॉन्च हुई थी पारले प्रोडक्ट एक भारतीय बहुराष्ट्रीय खाद्य नियम है जो बिस्कुट और कन्फेक्शनरी उत्पाद बनाती है या बिस्किट ब्रांड पारले जी के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है जो 2011 की नेल्सन रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाला

बिस्कुट ब्रांड है पारले प्रोडक्ट की स्थापना भारत में 1929 में विले परले मुंबई के चौहान परिवार द्वारा की गई थी संस्थापक मोहनलाल चौहान थे जो गुजरात में वलसाड के पास पार्टी के रहने वाले थे वह जीव कोपार्जन के लिए मुंबई चले आए और सबसे पहले उनका पैसा सिलाई था हां लिंक या लाभदायक नहीं था और इसलिए वह हसनैन बेचकर खाद्य विकास में चले गए वह ब्रांड बस रस इस्कॉन नानखटाई करना और आदि बनाने वाली बकरी चलाते थे उनके पांच बेटे थे माणिकलाल पीतांबर

नरोत्तम कुटिलाल और ज्योति लाल पांचो भाई अपने पिता के अधीन एक साथ काम करते थे पारले ने 1939 में केवल ब्रेस्ट सी को बिस्किट आपूर्ति करने के लाइसेंस के साथ बिस्कुट का निर्माण शुरू किया करने के लाइसेंस 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ तो कंपनी ने अपने ग्लूकोस बिस्किट को ब्रिटिश बिस्कुट के भारतीय विकल्प के रूप में संपादित करते हुए एक विज्ञापन अभियान शुरू किया पारले जी बिस्कुट जैसे उत्पादों की सफलता के बाद पार्ले ब्रांड भारत के प्रसिद्ध हो गया बहुत बाद में 1977 में मनोरंजन देसाई सरकार ने कोका कोला को भारत में निष्क्रियट कर दिया परिवार ने यह कहा एक अक्षर देखा और अपना स्वयं को कोल्ड ड्रिंक व्यास खोल जो फलाफल क्योंकि कोई प्रत्यक्ष स्पर्धा नहीं थी

पारले जी का पूरा नाम क्या है?

पारले जी का पूरा नाम आखिर पारले जी के नाम में जी का क्या मतलब है अगर जीनियस गलत जवाब है तो सही क्या है पारले-जी कई लोग तो ऐसे हैं जिन्होंने बचपन के साथ-साथ अपनी जीवनी भी पारले जी बिस्कुट के साथ बिता दी लेकिन क्या आप जानते हैं कि पारले जी के नाम में जी का मतलब क्या है हम सभी ने अपने जीवन में कभी ना कभी परले-ग बिस्किट तो जरूर खाया होगा कई लोग तो ऐसे हैं जिन्होंने बचपन के साथ-साथ

अपनी जीवनी भी पारले जी बिस्कुट के साथ-साथ बिता दी लेकिन क्या आप जानते हैं कि पारले जी के नाम में जी की मतलब क्या है सबसे पहले तो आपको यह बताने की पारले जी के नाम में जी का मतलब जीनियस तो बिल्कुल नहीं है आज हम आपको पारले जी के नाम में जी का असली मतलब बताएंगे पारले-जी बिस्कुट का उत्पादन देश की आजादी से भी पहले साल 1939 में हुआ था पारले-जी का पुराना नाम ग्लूको था जिसका नाम 80 के दर्शन में

बदलकर पारले-जी कर दिया गया था पारले जी के नाम में जी का मतलब जीनियस नहीं बल्कि ग्लूकोस है परले-ग बिस्किट सिर्फ एक वर्ग का नहीं बल्कि सभी का पसंदीदा बिस्किट है गरीब से गरीब और अमीर से अमीर भी पारले जी बिस्कुट के दीवाने हैं इंडिया एयरलाइंस के को पाउडर और मनोसिंग डायरेक्टर राहुल भाटिया अभी हाल ही में चाय के साथ पारले जी बिस्कुट खाते हुए दिखाई दिए थे

पारले का नाम कैसे पड़ा?

में सिल्क व्यापारी मोहनलाल दयाल ने मुंबई के विले परले इलाके में एक पुरानी बंद पड़ी फैक्ट्री खरीदी जिन्होंने वहां बिस्किट बनाना शुरू किया पारले-जी बिस्कुट का नाम फैक्ट्री वाले जगह के नाम पर पार्ले पड़ा

भारत का राष्ट्रीय बिस्कुट क्या है?

और मैं आप लोग को बताने वाला हूं कि दुनिया का सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्कुट पारले-जी का नाम सबसे पहले आता है जो की पारले जी साल 1929 के बाद है सिल्क व्यापारी मोहनलाल दयाल ने मुंबई के विले परले इलाके में एक पुराने बंद पड़े फैक्ट्री खरीदी इनसे इन्होंने कॉन्फ्रेंस फ्री बनाने के लिए तैयार किया दरअसल मोहन मालवीय देश आंदोलन के प्रभावित थे कुछ साल पहले वह जर्मन गए और कॉन्फ्रेंस फ्री बनाने की कला सीखी 1929 में ही एक कॉन्फ्रेंस फ्री मार्किंग मशीन लेकर आए भारत में वापस लौटे जिसे इन्होंने जर्मनी में ₹7000 में खरीदा था आजादी के

बाद थप्पड़ गया बिस्किट का प्रोडक्शन 1947 में भारत को आजादी मिली उसे साल पाकिस्तान बिछाया भी हुआ और अचानक देश में गेहूं की कमी हो गई पार्ले को अपने गुरु को बिस्किट का उत्पादन रोकना बड़ा क्योंकि गेहूं का मुख्य स्रोत था यह संकट से उबर के लिए पार्ले ने जी से बने बिस्किट बनाने शुरू कर दिए एक विज्ञापन में कंपनी ने स्वतंत्रता सी सैनियों को नमन करते हुए अपने काम यूजर से अपील की जब तक गेहूं की सप्लाई नॉर्मल नहीं हो जाती तब तक जो के बने बिस्किट का इस्तेमाल करें राष्ट्रीय बिस्किट कौन सा माना जाता है

पारले जी में वह लड़का कौन है?

और मैं आप लोग को बताने वाला हूं कि पारले जी वाली बच्ची कहां है कंपनी ने पैकेट पर इस लड़की की तस्वीर क्यों लगाई जाने पूरा माजरा इसके बारे में पूरी जानकारी बताने वाले हैं पारले-जी की कहानी जानते हैं आखिर बिस्किट पर बनी बच्ची कौन है क्या पारले जी ने बच्ची के चेहरे को मशहूर इन फेलुसार के चेहरे बदल दिया है ऐसे तमाम सवाल सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं क्योंकि पारले जी का नया पोस्ट ही कुछ ऐसा है हालांकि कंपनी

ने सब कुछ क्लियर भी कर दिया है बचपन से जुड़े तमाम चीजों इंसान को नैस्ट्रोलिया फुल कर देती है ऐसा ही एक चीज है परले-ग बिस्किट 1939 से अभी तक आम घरों के अंदर एक बिस्कुट का एक लंबा इतिहास रावण 1990 से इस बिस्कुट के पैक पर नजर आने वाले सच्ची आज तक बिस्कुट के पेज पर उसे मासूमियत से मुस्कुराए थी हुई नजर आ रही है लेकिन हाल ही में कंपनी ने इस बिस्कुट को पैकेट पर एक नए चेहरे को जगह देकर लोगों को हैरान कर दिया है इनफ्लुएंसर की तस्वीर लगी हुई है यह जो सोशल मीडिया के लिए कांटेक्ट क्रिकेट करते हैं कंपनी ने तस्वीर ही नहीं पैकेट पर पारले जी की नाम भी बूंद शाह जी लिखा हुआ था

दुनिया का नंबर 1 बिस्कुट कौन सा है?

और मैं आप लोग को बताने वाला हूं कि दुनिया का नंबर एक बिस्किट कौन सा रहता है यह है दुनिया का फेमस बिकने वाला बिस्कुट जो की पारले-जी को सब लोग बहुत ही ज्यादा लाइक करते हैं परले-ग बिस्किट सिर्फ भारत में ही नई दुनिया भर के लोगों के पसंद में शामिल है शायद इसलिए यह दुनिया का फेमस ज्यादा बिकने वाला बिस्कुट बन गया है नेशनल की हालिया रिपोर्ट में या साफ हो गया कि आज हर एक सेकंड में गरीब 4 पॉइंट5 हजार लोग बिस्किट को खा रहे हैं सबसे खास बात यह है कि अक्सर इस बिस्कुट के पैकेट पर छपी बच्ची की फोटो के बारे में चर्चा होती है कि

आगे या बच्चा कौन है ऐसे में लिए जाने इस परले-ग बिस्किट की पूरी कहानी तो मैं आप लोग को बताने वाला हूं नेशनल ने इससे पहले कि बीते साल ऑल इंडिया लेवल पर परले-ग बिस्किट को लेकर से किया था मैं परले-ग कंपनी गैर के मामले में ब्रिटानिया से 0.5 फ़ीसदी छिपे जरूरी थी लेकिन बिक्री के मामले में पारले-जी नंबर वन थी बेहतर स्वाद और क्वालिटी की वजह से आज या भारत ही नहीं विदेश विदेश में भी लोगों की पसंद में शामिल है भारत में यह हर गांव हर शहर में उपलब्ध है सबसे खास बात तो यह है कि आज भी इतनी महंगाई के दौर में यह एक आम आदमी के बजट में आसानी से अपनी जगह बनाए हैं दो और ₹5 में लोगों को जबरदस्त स्वाद मिलता है हालांकि इसका ₹50 तक का पैकेट आता है

पारले जी बिस्कुट का मालिक कौन था?

मैं आप लोग को बताने वाला हूं कि परले-ग बिस्कुट के मालिक कौन थे वर्तमान में विजय चौहान और उनके परिवार कंपनी के संस्थापक मोहनलाल चौहान के पोते और रिश्तेदार पार्ले प्रोडक्ट्स और पारले जी को मैनेज करते हैं और मैं आप लोग को बताने वाला हूं कि लगातार कड़ी की कंपनी 6 000 करोड़ में है इनकम भारतीयों के दिल पर करते हैं राज पारले-जी बिस्कुट कंपनी के बारे में शायद ही ऐसा कोई होगा जो नहीं जानता होगा

या बिस्किट देश के हर दिल में बसता है चौहान फैमिली की मालिकाना हक वाली कंपनी देश में उसे वक्त लॉन्च हुए थे जब यहां पर अंग्रेजों का शासन था और बिस्किट को बड़े-बड़े लोगों का खाद्य पदार्थ माना जाता था क्योंकि देश में गरीब तब का अवार्ड नहीं कर सकता था उसे दौरान हाई डेट एक सी कि मेरी और अन्य बिस्कुट के ब्रांड लोकप्रिय थे 1920 का दशक और साल 1928 जब गुजरात के मोहन दयाल चौहान नाम के एक शब्द कैदी यानी चॉकलेट की कंपनी शुरू की मौत 10 साल में इन्होंने बिस्कुट के मार्केट पर फोकस करना शुरू किया उन्हें पता था कि देश की एक बड़ी आबादी गरीब के यहां मांगे ब्रांड

बिस्किट खरीदने नहीं जा सकती इसलिए देसी और सस्ता मूल वाले प्रोजेक्ट को लॉन्च करने की फॉलिंग की और मैं आप लोग को बताने वाला हूं कि पारले-जी बिस्कुट के मालिक वर्तमान में विजय चौहान और उनके परिवार कंपनी के संस्थापक मोहनलाल चौहान के पोते और रिश्तेदार पहले प्रोजेक्ट और पार्ले की को मैनेज करते हैं इसके आगे की जानकारी में आप लोगों को जल्द से जल्द पढ़ने का प्रयास करूंगा जो कि आप लोग को हमारी दी हुई जानकारी बहुत ज्यादा पसंद आएगा धन्यवाद

Kashiru ddin Khan

My name kashiru ddin khan

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